अल्मोड़ा। केंद्र सरकार की ओर से चलाये गए विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हवालबाग के वैज्ञानिकों की टीमों ने गांव-गांव पहुंचकर किसानों से संवाद किया। इस दौरान जहां कृषि वैज्ञानिक किसानों की मुख्य समस्याओं से रूबरू हुए वही, वैज्ञानिकों और संबंधित विभागीय अधिकारियों द्वारा किसानों को उन्नत बीजों, तकनीक और सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में उन्हें जागरूक किया गया।
संस्थान के निदेशक डॉ लक्ष्मीकांत ने कहा कि, यह अभियान 29 मई से 12 जून तक उत्तराखंड के छह जिलों अल्मोड़ा, देहरादून, चमोली, बागेश्वर, उधमसिंह नगर और नैनीताल में कुल 16 विकासखण्डों के 437 गांव में चलाया गया। जिसमें संस्थान के वैज्ञानिकों के 60 दल शामिल रहे। अभियान के दौरान महिला कृषकों के साथ ही 6935 कृषकों ने बढ़-चढ़ कर भागीदारी की।
डॉ कांत ने बताया कि समस्याओं में मुख्य रूप से जंगली जानवरों से फसल को नुकसान, सिंचाई सुविधाओं का अभाव और समय पर बीज और अन्य आगतों का उपलब्ध न होना आदि रहा। किसानों ने फसलों को रोग और कीट से बचाने, जल संरक्षण कर पानी को खेत तक ले जाने, फसलों को सूखाने तथा उनका मूल्यसंवर्धन करने के बारे में जानकारी प्राप्त करने इच्छा व्यक्त की। इसके साथ ही पीएम फसल बीमा योजना में अधिक फसलों को शामिल करने तथा इसको पर्वतीय क्षेत्रों के अनुरूप बदलाव करने, मंडुआ की रोपाई के लिए ट्रांसप्लांटर, धान व गेहूँ की कम लम्बाई वाली प्रजातियों के विकास, सोयाबीन को तराई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त किस्म के विकास को लेकर अनुरोध किया गया। साथ ही लाल धान उत्पादन, मधुमक्खी पालन, संरक्षित खेती व मशरुम उत्पादन में किसानों ने इच्छा जाहिर की।
डॉ. कांत ने बताया कि वैज्ञानिकों को किसानों के कई नवाचारों के बारे में भी पता चला, जिसमें मुख्य रूप से जंगली जानवरों से बचाव के लिए चन्दन की खेती, फसल को जंगली जानवरों के प्रकोप से बचाने के लिए बॉर्डर पर हल्दी लगाकर उस पर नीम के तेल का छिड़काव सहित अन्य जानकारियां शामिल है।
अभियान की नोडल अधिकारी डॉ. कुशाग्रा जोशी ने बताया कि यह अभियान किसानों तक वृहद स्तर तक पंहुचा। अभियान उत्तराखंड के विभिन्न गांवों में सफल हुआ। वैज्ञानिकों की सिफारिशों के आधार पर पर्वतीय कृषि में नए सुधार अपेक्षित हैं, जिससे पर्वतीय कृषि उन्नत होगी तथा कृषक समृद्ध होंगे।