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Good news: उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात में सुधार… अल्मोड़ा समेत ये 5 जिले शीर्ष पर

-प्रति 1000 बालकों के सापेक्ष 984 बालिकाओं ने लिया जन्म

देहरादून: राज्य में बाल लिंगानुपात में व्यापक सुधार हुआ है। वर्ष 2015-16 की सर्वे रिपोर्ट में जहां उत्तराखंड में में 0-05 आयु वर्ग तक के बच्चों का लिंगानुपात 888 था वही, वर्ष 2020-21 में बाल लिंगानुपात 984 दर्ज किया गया, जो कि बीते वर्षों के मुकाबले कहीं ज्यादा है।

पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट के अुनसार राज्य में बाल लिंगानुपात में बेहत्तर सुधार हुआ है। भारत सरकार की इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 0-05 आयु वर्ग तक के बच्चों का लिंगानुपात 984 दर्ज किया गया है जो कि विगत वर्षों के मुकाबले कहीं अधिक है। रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में प्रति 1000 बालकों पर 984 बालिकाएं जन्म ले रही हैं।

चौथी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट 2015-16 में यह संख्या महज 888 थी। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 5 जनपदों अल्मोड़ा, चमोली, नैनीताल, पौड़ी व ऊधमसिंह नगर में प्रति एक हजार बालकों की तुलना में अधिक बालिकाओं का जन्म हुआ है।

अल्मोड़ा में जहां 1444 बालिकाओं का जन्म हुआ वहीं चमोली में 1026, नैनीताल में 1136, पौड़ी में 1065 व ऊधमसिंह नगर में 1022 बालिकाओं का जन्म हुआ। जबकि उत्तरकाशी (869), देहरादून (823) एवं टिहरी (866) में बालकों के मुकाबले बालिकाओं का जन्म अन्य जिलों के मुकाबले न्यून रहा।

रिपोर्ट के मुताबिक बागेश्वर जनपद में प्रति एक हजार बालकों पर 940 बालिकाओं ने जन्म लिया, हरिद्वार में यह संख्या 985, पिथौरागढ़ में 911, रूद्रप्रयाग में 958, और चम्पावत में 926 है।

राज्य में बाल लिंगानुपात को बढ़ाने के लिये चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ आम लोगों तक पहुंच रहा है। इसके अलावा राज्यभर में बाल लिंगानुपात बढ़ाने को लेकर जनजागरूकता अभियान भी संचालित किये जा रहे हैं।

विगत दिवस जनपद रूद्रप्रयाग में पीसीपीएनडीटी (गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी अधिनियम) की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला में सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेश में बाल लिंगानुपात बढ़ाने को लेकर कई निर्णय लेते हुये विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये। उन्होंने पीसीपीएनडीटी कमेटियों में निष्क्रिय सदस्यों को हटाने व क्षेत्रीय विधायक की अध्यक्षता में प्रत्येक तीन माह में इन समितियों की बैठक कराने को कहा। विभागीय मंत्री ने संतुलित लिंगानुपात के लिये सूबे के पांच जिलों में पीसीपीएनडीटी कार्यक्रम में विशेष ध्यान देने को कहा।

चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि, राज्य में बाल लिंगानुपात को लगातार बेहत्तर किया जा रहा है, इसके लिये सूबे में जनजागरुकता अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान व संस्थागत प्रसव कराने के लिये लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अलावा प्रदेश में भ्रूण जांच व पीसीपीएनडीटी अधिनियम का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। कम बाल लिंगानुपात वाले जनपदों में विशेष ध्यान देने के लिए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं।

 

 

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