अल्मोड़ा: मुस्लिम समुदाय की ओर से मोहम्मदी जुलूस निकाले जाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। मोहम्मदी जुलूस आयोजन समिति के संयोजक अमीनुर्रहमान ने कहा कि मुस्लिम समुदाय द्वारा देशभर में हजरत मोहम्मद साहब के जन्मदिन 28 सितंबर को हर साल मोहम्मदी जुलूस निकाला जाता है। अल्मोड़ा जिले के रानीखेत तथा नैनीताल जिले के हल्द्वानी में भी मुस्लिम समुदाय के लोग जुलूस निकालते है। पिछले 29 सालों से वह जिला मुख्यालय में जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन से जुलूस निकालने अनुमति मांग रहे है। लेकिन समिति को अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने इस मामले में जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए है।
यहां नगर के एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में समिति के संयोजक अमीनुर्रहमान ने कहा कि 29 साल पहले 1995 में अन्य स्थानों की तरह अल्मोड़ा मुख्यालय में भी मोहम्मदी जुलूस निकालने की पहल शुरू की थी। जिसमें अधिकांश मुस्लिम सहमत थे। लेकिन उस समय मुस्लिम समुदाय के चंद लोगों ने इसका विरोध किया। जिसके बाद प्रशासन ने जुलूस की अनुमति नहीं दी।
अमीनुर्रहमान ने कहा कि जुलूस निकालने के लिए लंबे समय से समिति संघर्ष कर रही है। लेकिन जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन द्वारा पिछले 29 सालों से अल्मोड़ा में मोहम्मदी जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड अल्पसंख्यक आयोग द्वारा इस मामले में जिलाधिकारी व एसएसपी को पत्र जारी किया गया था। लेकिन आयोग के पत्र का संज्ञान नहीं लिया गया। उन्होंने जिला प्रशासन व पुलिस पर ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।
अमीनुर्रहमान ने कहा कि सरकार ‘सबका साथ सबका विकास’ का नारा देती है लेकिन जिले के अधिकारी धरातल पर इसे कितना साकार कर रहे है वह जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन की इस मामले में अब तक की गई कार्यवाही से साफ हो गया है। उन्होंने कहा कि मामले में जिला प्रशासन द्वारा अब तक की गई कार्यवाही से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह समस्या के समाधान का प्रयास नहीं करना चाहता है और पुलिस का रवैया भी पूर्व की तरह है।
समिति के संयोजक अमीनुर्रहमान ने कहा कि जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के रवैये से मुस्लिम समुदाय के लोगों में काफी नाराजगी है। अगर प्रशासन व पुलिस का यही रवैया रहा तो वह न्यायालय की शरण में जाने को मजबूर होंगे।
प्रेस वार्ता में अख्तर हुसैन, अब्दुल निजाम कुरैशी, समीम अहमद, नईम खान, फैसल अंसारी, अफसर अली, करम खान, सिराजुद्दीन कुरैशी आदि मौजूद रहे।