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शिक्षा संकाय में ‘जीवन कौशल एवं समुदाय विकास’ पर आयोजित पांच दिवसीय सेमिनार शुरू

अल्मोड़ा: शिक्षा संकाय की विभागाध्यक्ष व डीन प्रो. भीमा मनराल ने कहा कि जीवन कौशल में दक्ष होना विद्यार्थियों का समग्र विकास को दर्शाता है। प्रत्येक व्यक्ति को व्यावहारिक शिक्षा सामाज उपयोगी बनाती है। जीवन में समुदाय की अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है, हर व्यक्ति को समुदाय के साथ जुड़ना चाहिए ताकि समाज को उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाया जा सके।

मंगलवार को सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में उन्नत भारत अभियान के अंतर्गत लाइफ स्किल डेवलपमेंट एंड कम्युनिटी आउटरीच पर पांच दिवसीय वर्कशॉप का शुभारंभ हो गया है। मंगलदीप की प्राध्यापक डॉ लीना चौहान, अंग्रेजी विभाग से रिटायर्ड प्रो एस.ए हामिद एवं शिक्षा संकाय की डीन प्रो. भीमा मनराल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर वर्कशॉप का शुभारंभ किया।

विशिष्ट अतिथि मंगलदीप विद्यालय की प्राध्यापक डॉ रीना चौहान ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के जीवन कौशल के जीवंत उदाहरण देकर उपस्थित एमएड प्रशिक्षुओं से अपने विचार साझा किए। इस दौरान उन्होंने डिस्लेक्सिया, डिस्प्रेक्सिया, मेंटल डिसऑर्डर मेंटली रिटारडेड बालकों की विशेषताओं और जीवन कौशल के प्रति उनके दृष्टिकोण पर व्यापक प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि मंगलदीप दिव्यांगता वाले विशेष बच्चों के लिए एक अनोखा अनुसंधानशाला है। संस्था हमेशा ही दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए उन्हें जीवन कौशल के बारे में सिखाती है। ताकि समाज के साथ उनका जुड़ाव होने के साथ उन्हें आजीविका के संसाधन मुहैया करा सकें। उन्होंने समाज में विभिन्न वर्गों से विशेष सहायता वाले बालकों का सहयोग प्रदान करने की भी अपील की।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त प्रो. एस.ए हामिद ने जीवन कौशल पर प्रकाश डालते हुए शिक्षकों को जीवन कौशल में पारंगत होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की संप्रेषण कौशल में विशेष दक्षता होनी जरूरी है। उन्होंने सभी के प्रति समानता का भाव, संवेगात्मक संवेदनशीलता, जागरूकता को जीवन कौशल के लिए अहम बताया।

उन्नत भारत अभियान की समन्वयक डॉ ममता असवाल ने डब्ल्यूएचओ की ओर से जारी किए गए जीवन कौशल के घटकों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जन जागरूकता, स्वनियमन, कौशल पूर्ण शिक्षा, संवेगात्मक बुद्धि ही सर्वांगीण विकास के मानक क्षेत्र है। उन्होंने उच्च शिक्षा की विषय विशेषज्ञता को गांव के विकास के लिए उपयोगी बताया। उन्होंने जीवन कौशल विकास में समुदाय की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान युग में दक्षता आधारित अधिगम की नितांत आवश्यकता है।

कार्यक्रम का संचालन उन्नत भारत अभियान की समन्वयक डाॅ ममता असवाल ने किया। इस मौके पर डॉ रिजवाना सिद्दीकी, सरोज जोशी, डाॅ ममता कांडपाल, कुंदन लटवाल मनोज कार्की, मंजरी तिवारी, डाॅ पूजा प्रकाश, अंकित कश्यप, मनदीप कुमार टम्टा, ललिता रावत समेत एमएड के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

 

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