अल्मोड़ा: निवर्तमान जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष ललित लटवाल ने कहा कि 25 जून 1975 को 25 जून, 1975 वह दिन था, जब आपातकाल लगाने के कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक रूप से प्रेरित फैसले ने देश के लोकतंत्र के स्तंभों को हिला दिया था और संविधान को कुचलने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि आपातकाल देश के लोकतंत्र के इतिहास का वह काला अध्याय है, जिसे चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता।
सांगठनिक जिला रानीखेत में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे निवर्तमान जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष ललित लटवाल ने भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल जैसा फैसला इसलिए लिया गया था क्योंकि एक पुराना मामला राजनीतिक रूप से उनके लिए बड़ी मुश्किलों का सबब बन गया था। कहा कि कांग्रेस पार्टी देश में लोकतंत्र की दुहाई देकर अपनी खोई जमीन वापस पाना चाहती है, वो इस काले अध्याय को भूल जाती है। जब विपक्ष के सारे नेता जेल में ठूंस दिए गए थे। प्रेस की आजादी पर बेन लगा दिया गया था।
उन्होंने कहा कि देश उस आपातकाल के काले दिनों को कभी नही भूल सकता। तब संस्थानों को सुनियोजित तरीके से ध्वस्त कर दिया गया था। आपातकाल की बरसी हमे निरंकुश ताकतों के खिलाफ विद्रोह तथा तानाशाही भ्रष्टाचार और वंशवाद के विरुद्ध संग्राम का सबक और साहस देती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मोहन सिंह नेगी व संचालन विनोद भट्ट ने किया। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक सोनू फर्त्याल, हयात सिंह नेगी, आशु भगत, भुवन जोशी, प्रभा तिवारी, लता पांडे, नवीन नेगी, रमेश बिष्ट, जय किशन पपनै समेत कई कार्यकर्ता मौजूद रहे।