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विदेशी आक्रामक प्रजातियों से हिमालयी दुर्लभ प्रजातियां समाप्ति की कगार पर: प्रो. रेशी

अल्मोड़ा। भारत रत्न पं. गोविंद बल्लभ पंत के 137वें जन्मदिवस व जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल के स्थापना दिवस पर संस्थान में कार्यक्रम आयोजित हुआ। मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा व अन्य अतिथियों द्वारा पं. गोविंद बल्लभ पंत की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत में संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने सभी अतिथियों को संस्थान तथा इसकी क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में किये जा रहे विभिन्न शोध और विकासात्मक कार्यों से अवगत कराया और संस्थान की प्रगति आख्या प्रस्तुत की। इस मौके पर अतिथियों द्वारा संस्थान के प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।

30वें पं. गोविंद बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान के वक्ता व कश्मीर विश्वविद्यालय, श्रीनगर के वरिष्ठ प्रोफेसर प्रो. जफर अहमद रेशी ने पर्वतों के प्रहरी: हिमालय की उच्चभूमि में आक्रमणकारी वनस्पतियों से संघर्ष विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न आक्रामक विदेशी प्रजातियों से अवगत कराते हुए कहा कि इन विदेशी आक्रामक प्रजातियों से हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाने वाली महत्वपूर्ण और दुर्लभ प्रजातियां समाप्त या समाप्ति की कगार पर है। जिनके समाधान के लिए हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले सभी को एकजुट होकर आगे आने की जरूरत है। प्रोफेसर रेशी ने बताया कि विश्व में लगभग 37 हजार आक्रामक प्रजातियां हैं और प्रतिवर्ष 200 प्रजातियां हर वर्ष बढ़ती जा रही हैं।

केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा ने संस्थान द्वारा चलाये जा रहे आजीविकावर्धन में सहायक तथा शोध कार्यों की प्रशंसा की। तथा कहा कि पं. गोविंद बल्लभ पंत द्वारा देश, समाज व मानव कल्याण के लिए किये गये कार्यों को हमें आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संस्थान अपने शोध और विकास कार्यो को वैश्विक स्तर पर फैला रहा है, जो हम सबके लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि से प्रतिवर्ष सैकड़ों जीव जंतुओं और वनस्पतियों को नुकसान पहुंचता है। और उनके जीवन को प्रभवित करता है। उन्होंने संस्थान से वनाग्नि की रोकथाम के लिए उचित दिशानिर्देश और कार्ययोजना बनाने की भी अपील की। उन्होंने सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के ​लिए वाइव्रेंट विलेज इत्यादि योजनाओं से भी सबको अवगत कराया।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की संयुक्त सचिव नमिता प्रसाद ने संस्थान को उसके विकासात्मक कार्यों के लिए अग्रिम शुभकामनाएं प्रेषित की। उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपने कार्यों द्वारा पर्यावरण मंत्रालय और नीति आयोग की उम्मीदों पर खरा उतर कर सबको गौरवान्वित किया है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर ए. एन. पुरोहित ने संस्थान के द्वारा चलाये जा रहे उत्कृष्ठ शोध और विकास कार्यो की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपने शोध और विकास कार्यो की बदौलत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अनूठी पहचान बनायी है। उन्होंने युवा शोधार्थियों से बनाये रखने और अपने शोध और विकास कार्यों को धरातलीय स्तर पर लाने की अपील की। उन्होंने कहा बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण दिनों दिन प्रभावित होता जा रहा है। हम सबको एकजुट और सजग होकर इसके समाधान के लिए मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम के पद्मश्री प्रोफेसर एकलब्य शर्मा, एसएसजे विवि के कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट, निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार ने भी अपने विचार रखें।

कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा श्रीया अधिकारी और संस्थान के वैज्ञानिक डा. मिथिलेश सिंह ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का समापन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जेसी कुनियाल के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

कार्यक्रम में पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, सीएमओ डॉ. आरसी पंत, डा. वसुधा पन्त, निवर्तमान पालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, उपपा अध्यक्ष पीसी तिवारी, प्रो. जेएस रावत, डा. जीसीएस नेगी, डा. एसएस सामंत, डा. सुमित पुरोहित, डा. अरुण जुगरान, संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पारोमिता घोष, ई. एमएस लोधी सहित संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं शोधार्थियों समेत करीब 250 प्रतिभागियों नें प्रतिभाग किया।

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