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Almora:: पाटिया में पौने घंटे तक खेली गई बग्वाल, सैकड़ों ग्रामीण इस ऐतिहासिक पाषाण युद्ध के बने गवाह

अल्मोड़ा। हवालबाग व ताकुला विकासखंड के बीच स्थित ऐतिहासिक गांव पाटिया में गोवर्धन पूजा के दिन बग्वाल खेली गई। पाटिया क्षेत्र के पचघटिया में खेले गये इस बग्वाल में पाटिया, भटगांव, जाखसौड़ा कोटयूड़ा और कसून के ग्रामवासियों ने भाग लिया। जबकि क्षेत्र के दर्जनो गांवों से आये सैकड़ों लोग इस पत्थर युद्ध के गवाह बने।

पाटिया गांव में सैकड़ों वर्षों से बग्वाल खेलने की पंरपरा चली आ रही है। इस बार भी शनिवार को गोवर्धन पूजा के दिन बग्वाल खेलने की प्रथा पूरे रस्मों रिवाज के साथ मनायी गई। बग्वाल में चार गांव के योद्धाओं ने हिस्सा लिया और सदियों पुरानी परम्परा को कायम रखते हुए पत्थर युद्ध खेला।

शाम करीब 4:15 बजे शाम बग्वाल शुरू हुई और पौन घंटे तक चली। करीब 5 बजे पाटिया के देवेन्द्र सिंह के गधेरे में जाकर पानी पीने के साथ बग्वाल का समापन हुआ। पाटिया की ओर से हेमंत कुमार, पूरन चंद्र पाण्डे, हेम चंद्र पाण्डे, देवेंद्र सिंह पिलख्वाल, सरपंच देवेन्द्र सिंह बिष्ट सहित पाटिया और भटगांव के ग्रामीणों ने बग्वाल खेली। जबकि जाखसौड़ा और कोटयूड़ा की ओर से कुंदन सिंह, भुवन चंद्र, विनोद सिंह, विक्रम सिंह, भरत सिंह, सुंदर सिंह आदि ने बग्वाल युद्ध में भाग लिया।

पिछले 50 वर्षों से खुद इस रोमांच का हिस्सा बन रहे बुजुर्गों ने कहा कि यह रस्म अदायगी बेहद लंबे समय से चली आ रही है। यह प्रथा क्यों शुरू हुई इसका तो कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। लेकिन कई दंत कथाएं प्रचलित हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि इस प्रथा को संवर्धित करने की बेहद आवश्यकता है।

ग्रामीणों का कहना है कि सदियों से आपसी आयोजन से चल रही इस परम्परा को उभारने और चम्पावत के देवीधूरा की तर्ज पर इसका प्रचार प्रसार करने के लिए प्रशासन द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की जा सकी है। जिसके चलते यह आयोजन प्रसिद्धि नहीं पा सका है।

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