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Almora Baithaki Holi:: सांस्कृतिक नगरी में गूंजने लगी बैठकी होली की स्वर लहरियां, ये है विशेषता

अल्मोड़ा। सांस्कृतिक नगरी में पौष माह के पहले रविवार से बैठकी होली शुरू हो गई है। श्री लक्ष्मी भंडार हुक्का क्लब में पहले दिन की बैठकी होली की शुरूआत वरिष्ठ होली गायक दीप चंद्र जोशी ने गणपति वंदना से शुरू की।

संस्था अध्यक्ष धरणीधर पांडे ने नैया लगा दो पार होली सुनाई, दीप जोशी द्वारा विनती सुनो महाराज होली गायी गई। वरिष्ठ होली गायक ललित प्रकाश शिव सुमिरन बिन जाना होली गाई।

इस दौरान उपाध्यक्ष मनोज साह, सचिव विनीत बिष्ट, कोषाध्यक्ष ललित मोहन साह, त्रिभुवन गिरी महाराज, चन्दन आर्या, विजय चौहान, दीवान कनवाल, धीरज साह, प्रमोद कुमार, चंद्रशेखर कांडपाल, जगत मोहन जोशी,पंकज साह, अभय उप्रेती, यश साह, कैलाश साह, अजय साह, विनोद थापा, पूजा थापा मेघल कार्की, भारत गोस्वामी, सुबोध नयाल, राजा पांडे, आदि अनेक मौजूद रहे।

इस होली की एक विशेषता यह भी है कि यह होली शिवरात्रि तक बिना रंगों के साथ सिर्फ संगीत की होली होती है। शाम होते ही संगीत प्रेमियों द्वारा अपने-अपने घरों में शास्त्रीय रागों पर आधारित बैठकी होली का गायन शुरू हो जाता है।

1860 में हुई शुरूआत

जानकारों के अनुसार कुमाऊं में बैठकी होली गीतों के गायन की परंपरा सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा से शुरू हुई। अल्मोड़ा में बैठकी होली की शुरुआत 1860 में हुई थी। होली में गायी जाने वाली बंदिशें विभिन्न रागों पर आधारित होती हैं, जो समय के अनुसार गायी जाती हैं। बैठक में होली को गाये जाने का एक तरीका है। बैठकी होली में राग काफी, जंगला, खम्माज, साहना और जैजेवन्ती समेत कई राग गाए जाते हैं। राग धमार से शुरू होकर पहली होली श्याम कल्याण में गायी जाती है। जबकि, समापन राग भैरवी पर होता है। बीच में अलग-अलग रागों पर होलियां गायी जाती हैं।

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