अल्मोड़ा: स्वामी विवेकानंद की शिकागो से वापसी और रामकृष्ण मिशन के स्थापना की 125 वीं वर्षगांठ(125th Anniversary of Ramakrishna Mission) रामकृष्ण कुटीर भव्यता के साथ मनाएगा। कुटीर की ओर से रामकृष्ण मिशन स्थापना वर्ष समारोह पर एक माह तक कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है। इस दौरान देश भर से साधुओं और भक्तों के जुटने की उम्मीद है।
रामकृष्ण कुटीर, अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद(Swami Dhruveshananda) ने बुधवार को कुटीर सभागार में पत्रकार वार्ता कर कुटीर के कार्यों एवं वर्षगांठ कार्यक्रमों की रूपरेखा रखीं। कहा कि स्वामी विवेकानंद का अल्मोड़ा के प्रति प्रेम जग जाहिर है। स्वामी विवेकानंद ने 1890 से 1898 के बीच 3 बार अल्मोड़ा का दौरा किया। उनके जीवन के कई उल्लेखनीय और ऐतिहासिक क्षण, जो मानव जाति के लिए महान प्रेरणा हैं, अल्मोड़ा से जुड़े है। इस उत्सव के अंतर्गत पूरे महीने विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सेमिनार, आध्यात्मिक ग्रंथों पर कक्षाएं, आध्यात्मिक शिविर, स्कूल स्तर की प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि आयोजित किए जा रहे हैं।
रामकृष्ण मिशन आश्रम, कानपुर के सचिव स्वामी आत्म्श्रद्धानंद(Swami Atmashradhanand) ने बताया कि स्वामी विवेकानंद ने हमारे राष्ट्र, संस्कृति के लिए बहुत बड़ा मार्गदर्शन का काम किया। जिसके सम्मान में उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने उत्तराखंड में स्वामी विवेकानंद के पदचिन्हों से धन्य स्थानों का एक पर्यटन सर्किट(tourist circuit) विकसित किया है। उन्होंने बताया कि महीने भर के कार्यक्रम के दौरान काकड़ीघाट, अल्मोड़ा, कसारदेवी, मोरनौला, मायावती, टनकपुर, हरिद्वार, ऋषिकेश, किशनपुर और देहरादून का भ्रमण करते हुए उक्त सर्किट की परिक्रमा भी की जाएगी। पूरे भारत से लगभग 75 साधुओं और 100 से अधिक भक्तों के उत्सव के दौरान भाग लेने की उम्मीद है। यह परिक्रमा साधु, संत अल्मोड़ा से 25 मईं से शुरू होगी और मौरनौला, लोहाघाट मायावती आश्रम, श्यामलाताल, टनकपुर, हरिद्वार, ऋृषिकेश होते हुए देहरादून के राजपुर में तीन जून को संपन्न होगी।
करबला तिराहा के पास बनेगा ‘विवेकानंद द्वार’
स्वामी विवेकानंद का उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा से गहरा नाता रहा है। वह अपने जीवन में तीन बार साल 1890, 1897 और 1898 में अल्मोड़ा आए थे। रामकृष्ण कुटीर के अध्यक्ष स्वामी ध्रुवेशानंद ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा कि अमेरिका से लौटने के बाद जब स्वामी विवेकानंद पहली बार अल्मोड़ा आए तो यहां के लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया था। स्थानीय लोग लोधिया के पास लाल कालीन बिछाकर कर स्वामी विवेकानंद को एक सुसज्ति घोड़े में बैठाकर लाए थे। जिसके बाद मुख्य बाजार में राममंदिर के पास एक सभा का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद की अल्मोड़ा से कई यादें जुड़ी है। वह देवभूमि को अपनी स्वप्न भूमि मानते थे। स्वामी विवेकानंद की याद में करबला तिराहे के पास नेशनल हाईवे में ‘विवेकानंद द्वार’ बनाया जाएगा। 20 मई को पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और कोलकाता स्थित बेलुर मठ और रामकृष्ण मिशन के स्वामी सुहितानंद विवेकानंद द्वार की नींव रखेंगे।
26 मई को होगा युवा सम्मान व पुरस्कार वितरण कार्यक्रम
स्वामी ध्रुवेशानंद ने कहा कि जीआईसी अल्मोड़ा में 26 मई को युवा सम्मान व पुरस्कार वितरण कार्यक्रम आयोजित होगा। इस कार्यक्रम के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आने का आग्रह किया गया है। साथ ही सोबन सिंह जीना विवि के शिक्षा संकाय की ओर से 23 और 24 मई को दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 5 मई से 10 मई तक रामकृष्ण कुटीर में आत्मबोध (स्व ज्ञान) आदि शंकराचार्य पर साप्ताहिक कार्यक्रम भी किया गया। कुटीर आध्यात्मिक, धार्मिक एवं शैक्षणिक क्षेत्रों में लगातार सामाजिक सरोकारों से जुड़े प्रोग्राम कराकर समाजिक जागरूकता लाने का काम भी कर रहा है।
पत्रकार वार्ता में एसएसजे परिसर के अंग्रेजी विभाग से रिटायर्ड प्रोफेसर एस.एस हामिद, डॉ. चंद्रप्रकाश फुलोरिया, स्वामी देव्यानंद, ब्रह्मचारी वैभव महाराज, ब्रह्मचारी सौभिक महाराज आदि समेत अन्य लोग मौजूद रहे।
यहां देखें कार्यक्रमों की लिस्ट-
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