अल्मोड़ा। विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा भारत-चीन सीमा पर स्थित नीती और गमशाली जैसे दूरस्थ एवं सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण वाइब्रेंट हिमालयी गांवों में जागरूकता और बुवाई से पहले प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसका उद्देश्य जनजातीय कृषकों का क्षमता निर्माण करना, उन्नत बीज व सामग्री का वितरण और कृषि प्रौद्योगिकी का प्रसार करना था।
नीती गांव में वैज्ञानिकों ने मटर की खेती पर बुवाई पूर्व प्रशिक्षण दिया। प्याज सेट्स की उन्नत खेती विधियों का प्रदर्शन किया तथा उन्नत कृषि पद्धतियों पर ज्ञानवर्धन के लिए लीफलेट का वितरण किया। इस दौरान कमजोर मोबाइल कनेक्टिविटी, खेतों की सुरक्षा के लिए तारबंदी की आवश्यकता तथा सरकारी योजनाओं के प्रति कम जागरूकता जैसी कमियां बातचीत में सामने आई। गमशाली गांव में वैज्ञानिकों द्वारा सब्जियों की उन्नत खेती विधियों और कीट व रोग प्रबंधन पर जानकारी दी गई और आवश्यक इनपुट्स का वितरण किया गया। किसानों ने उन्नत आलू के बीज की मांग, जंगली जानवरों से फसल की रक्षा के लिए घेराबंदी तथा सिंचाई के लिए जल प्रबंधन जैसी जरूरतों को प्रमुखता से उठाया।
संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकांत ने बताया कि इन दूरस्थ गांवों तक पहुंच संस्थान की भारत के सीमावर्ती क्षेत्र के कृषि समुदायों को भी व्यापक कृषि विकास मिशन में पूर्ण रूप से शामिल करके कृषि में मुख्यधारा से जोड़ने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ये बुवाई पूर्व प्रशिक्षण शिविर संस्थान की जनजातीय उपयोजना योजना के तहत संचालित किए जा रहे हैं।
नोडल अधिकारी डॉ. कुशाग्रा जोशी ने बताया कि दोनों गांवों में 124 किसानों की उत्साहित भागीदारी अभियान के उद्देश्यों के प्रति कृषकों की बढ़ती जागरूकता और सकारात्मक प्रतिक्रिया को दर्शाती है।