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खटीमा गोलीकांडः उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के शहीदों को ‘उत्तराखंड रत्न’ घोषित किया जाए

अल्मोड़ाः उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए 1 सितंबर 1994 को खटीमा गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की याद में आज 28वां शहीद दिवस मनाया गया। गांधी पार्क में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने शहीदों के बलिदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान राज्य आंदोनकारियों ने उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के शहीदों को ‘उत्तराखंड रत्न’ घोषित करते हुए राज्य में जो विकास योजनाएं चलाई जा रही है या नई विकास योजनाओं के नाम शहीदों के नाम पर रखे जाने की मांग की है। ताकि आने वाली पीढ़ी शहीदों को जान सके और उन्हें याद कर सके।

राज्य आंदोनकारियों ने राज्य बनने के 22 वर्ष बाद भी शहीदों के सपनों के अनुरूप राज्य के विकास की दिशा दशा तय न पाने के लिए राज्य में बारी बारी सत्ता में आई भाजपा कांग्रेस को जिम्मेदार बताते हुए धरना दिया तथा विभिन्न मांगों का ज्ञापन राज्यपाल को प्रेषित किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि राज्य के विकास की बात तो दूर 22 वर्ष में राज्य की स्थाई राजधानी तक तय नहीं हो पाई है। राज्य में सत्ता में बैठे लोग विकास के धन बंदरबांट तो कर ही रहे थे। अब पता चल रहा है नौकरियां भी अंधे की रेवड़ी की तरह बांट रहे थे।

ये है मांगें-

राज्य आंदोलनकारियों ने शहीदों, राज्य आंदोलनकारियों तथा जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैंण भराड़ीसैंण में शीघ्र राज्य की स्थाई राजधानी स्थापित किये जाने, क्षैतिज आरक्षण बहाल करने, मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप आश्रितों को शीघ्र पेंशन का लाभ दिये जाने तथा चिन्हीकरण से बंचित राज्य आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण में आ रही समस्याओं का शीघ्र निराकरण करने व आपातकाल में जेल में बंद रहे लोकतन्त्र सेनानियों की ही भांति राज्य आंदोलनकारियों को भी राज्य सेनानी घोषित करते हुए 17 हजार रुपये मासिक पेंशन देने की मांग की गयी है।

राज्य आंदोलनकारियों ने उन्हें दी जा सुविधाओं को औपचारिक के स्थान पर व्यवहारिक बनाये जाने के साथ एक से अधिक राज्य आंदोलनकारियों के निवास वाले राज्य आंदोलनकारी गांव घोषित करते हुए विकास की मुख्य धारा में जोड़ने की भी मांग की गयी है।

सरकारी भर्तियों में हुई गड़बड़ी की हो सीबीआई जांच

राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में राज्य आंदोलनकारियों ने राज्य गठन से अब तक हुई सभी सरकारी भर्तियों व नियुक्तियों की सीबीआई तथा न्यायिक जांच की मांग की गयी है। राज्य आंदोलनकारी महेश परिहार ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के निर्माण के लिए कई लोगों ने अपनी कुर्बानी दी। लेकिन भाजपा व कांग्रेस सरकार शहीदों के सपनों के अनुरूप राज्य के विकास की दशा व दिशा तय नहीं कर पाए। जो शहीदों का अपमान भी है। वही, सरकारी भर्तियों में हो रही गड़बड़ी व अनियमितताओं पर परिहार ने कहा कि प्रधानमंत्री व प्रदेश सरकार वाकई में ईमानदार है व प्रदेश की जनता के प्रति जवाबदेह है तो सभी भर्तियों की सीबीआई जांच कराई जाए। ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो सके।

ये रहे मौजूद

राज्य आंदोलनकारी ब्रह्मानंद डालाकोटी, महेश परिहार, शिवराज बनौला, दौलत सिंह बगडवाल, गोपाल सिंह बनौला, गिरीश गोस्वामी, दिनेश जोशी, रवीन्द्र बिष्ट, जीवन सिंह, देवनाथ गोस्वामी, बसंत जोशी, दुर्गा दत्त भट्ट, हेम जोशी, महेश पांडे, पूरन चंद्र जोशी, कुन्दन सिंह, अर्जुन सिंह, पूरन सिंह, पान सिंह, तारा राम, कैलाश राम सहित कई राज्य आंदोलनकारी मौजूद रहे।

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