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पूर्व सीएम एन.डी तिवारी की जयंती व पुण्यतिथि को सरकारी रूप से मनाया जाएः सती

अल्मोड़ाः पूर्व दर्जा राज्यमंत्री एडवोकेट केवल सती ने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं कुशल प्रशासक पंडित नारायण दत्त तिवारी की जयंती व पुण्यतिथि को सरकारी रूप से मनाये जाने की मांग की है। सती ने मामले में उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है। स्व. तिवारी को सम्मान देने के लिए उन्होंने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मामले में आदेश जारी करने की मांग की है।

ज्ञापन में कहा कि पंडित नारायण दत्त तिवारी को 14 दिसम्बर 1942 को स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान उन्हें ब्रिटिश नितियों के खिलाफ लिखने के लिये गिरफ्तार किया गया और नैनीताल जेल में भेज दिया जहाँ उनके पिता पूर्णानन्द तिवारी जो ब्रिटिश काल के दौरान वन विभाग में एक अधिकारी थे उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा देकर महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भागीदारी की और वे भी नैनीताल जेल में बन्द थे। नैनीताल जेल में तिवारी तथा उनके पिता एक साथ स्वतंत्रता आन्दोलन में बंद रहे। ऐसे बहुत कम उदाहरण है। जिसमें पिता व पुत्र स्वाधिनता आन्दोलन में एक साथ जेल गये हो। तिवारी को सन् 1944 में जेल में रिहा किया गया वे एक वर्ष तीन माह जेल में रहे।

कहा कि पंडित तिवारी ने विपरीत परिस्थितियों में प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में प्राप्त करने के बाद हाईस्कूल की शिक्षा बरेली से तथा इण्टर की शिक्षा नैनीताल से प्राप्त की स्वतंत्रता आन्दोलन एवं तमाम कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए उन्होंने उच्च शिक्षा इलाहबाद विश्व विद्यालय से स्नात्कोत्तर तथा एल.एल.बी परीक्षा प्रथम श्रेणी से श्रेष्ठता सूची के साथ उत्तीर्ण की तथा वर्ष 1947 में वें इलाहबाद विश्व विद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

पं. नारायण दत्त तिवारी का राजनैतिक सफर वर्ष 1952 से शुरू हुआ। जब वे पहली बार प्रजा समाजवादी पार्टी नैनीताल क्षेत्र से सबसे कम उम्र में उत्तर प्रदेश की विधानसभा में विधायक निर्वाचित हुए। तिवारी यूपी जैसे विशाल राज्य के वे 21 जनवरी 1976 को प्रथम बार 3 अगस्त 1984 को, दूसरी बार 23 सितम्बर 1985 को, तीसरी बार तथा 25 जून 1988 को तथा चौथी बार उन्होंने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री का दायित्व संभाला।

पं. नारायण दत्त तिवारी ने अपनी जन्म भूमि की सेवा के भाव से 2 मार्च 2002 को उत्तराखण्ड राज्य की पहली निर्वाचित सरकार के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला और अपनी कार्य कुशलता से उत्तराखण्ड राज्य की एक मजबूत नींव रखी। जिसे आज भी उत्तराखण्ड की जनता याद करती है। पंडित तिवारी ने केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में 1980 में प्रवेश किया तथा केन्द्र सरकार में उद्योगए इस्पात व खान मंत्रालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, विदेश, वित्त व वाणिज्य मंत्रालय को अपनी कार्य कुशलता से बेहतर ढंग से चलाया। तिवारी का दुर्भाग्य रहा कि वे 1991 में लोक सभा चुनाव हार गये। अगर वह चुनाव जीतते तो उनका प्रधानमंत्री बनना तय था।

पंडित नारायण दत्त तिवारी 4 बार उत्तर प्रदेश व एक बार उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री रहे तथा केन्द्र सरकार में उद्योग, पेट्रोलियम, विदेशए वित्त व वाणिज्य मंत्रालयों के कैबिनेट मंत्री रहे। उनका जन्म 18 अक्टूबर 1925 को ग्राम बल्यूटी पदमपुरी जिला नैनीताल में हुआ। 18 अक्टूबर 2018 को मैक्स अस्पताल दिल्ली में उनकी 93 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गयी। इसलिए उनकी जयंती व पुण्य तिथि दोनों 18 अक्टूबर को मनाई जाती है।

पूर्व दर्जा राज्य मंत्री केवल सती ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से महान स्वतंत्रता सेनानी व पूर्व सीएम पंडित एन.डी तिवारी के योगदान को देखते हुए उनकी जयंती व पुण्यतिथि समारोह को सरकारी स्तर पर मनाये जाने को लेकर आदेश जारी करने की मांग की है।

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