अल्मोड़ा: न्यायिक अधिकारियों द्वारा अधिवक्ताओं के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार नहीं किए जाने के विरोध में बार काउंसिल आफ उत्तराखण्ड के आहृवान पर अधिवक्ताओं ने जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर में सांकेतिक धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से विरत रहे।
इस दौरान कई अधिवक्ताओं ने अपने विचार रखें। अधिवक्ता गिरीश चन्द्र फुलारा ने कहा की वकीलों के विरूद्ध हो रहे न्यायिक अधिकारियों के दुर्व्यहार के लिए समस्त बार को संगठित रहकर आवाहन करना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता चामू सिंह घस्याल ने कहा कि बार तथा बेंच दोनों को ही आपस में सामांजस्य स्थापित करना होगा। जिससे दोनों के मध्य आपसी सदभाव बना रहे और इससे वादकारियों को परेशानी नहीं होगी।
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वरिष्ठ अधिवक्ता जमन सिंह बिष्ट ने कहा कि बार और बेंच रथ के दो पहिये हैं दोनो को समान रूप् से कार्य करना होगा। वरिष्ठ अधिवक्ता गोविन्द लाल वर्मा ने कहा कि अधिवक्ता हर समय अदालतों की सहायता करता है, वह अदालत के अफसर होते हैं। न्यायिक अधिकारियों द्वारा अधिवक्ताओं के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता पी.सी. तिवारी ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा अधिवक्ताओं के साथ गरिमापूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए। अगर न्यायिक अधिकारी अपनी मन की करेंगें तो न्याय कहां रहेगा।
इस दौरान जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष महेश चन्द्र सिंह परिहार,महेश चद्रा, गजेन्द्र सिंह मेहता, जीवन आर्या, त्रिभुवन शर्मा आदि ने अपने विचार रखे।
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जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शेखर लखचौरा की अध्यक्षता में धरना-प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम का संचालन सचिव भुवन पाण्डे व भगवत मेर ने संयुक्त रूप से किया। कोषाध्यक्ष कमलेश कुमार द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गयी। जबकि महिला उपाध्यक्षा सुनीता पाण्डे, उपाध्यक्ष कुन्दन लटवाल, सह कोषाध्यक्ष इंतिकाख आलम कुरेशी, भोलाशंकर जोशी, मुरली मनोहर भट्ट, नारायण सिंह जीना व सुरेश अग्निहोत्री ने सहयोग किया।
धरने में एच.एस. डांगी, विभा पाण्डे, रविन्द्र सिंह बिष्ट, भूपेन्द्र सिंह मियान, देवेश बिष्ट, माधव सिंह जीना, सुनील कुमार प्रेम आर्या, कृष्ण सिंह बिष्ट, प्रताप सिंह अधिकारी अनूप कुमार, हरीश लोहनी, जगदीश चन्द तिवारी, संदीप टम्टा, मोहन सिंह, संजय विद्यार्थी, धीरेश जोशी, शंकर कुमार मनोज सिंह, घनश्याम जोशी , एम.के. पंत, संजय कर्म्याल, इमरोज खान, पंकज लटवाल, रोहित बिष्ट, वंदना कोहली, दिवान सिंह बिष्ट, गोधन सिंह बिष्ट, दीवान सिंह बिष्ट, एच.बी. नैनवाल, भाष्कर पाण्डे, नवल जोशी, मुकेश कुमार, विनोद फुुलारा, निर्मल रावत, पूरन चन्द्र लोहनी, वैभव पाण्डे, शैफाली चैरासी, विनोद जोशी, कविन्द्र पंत, भावना जोशी समेत अन्य कई अधिवक्ता शामिल रहे।
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