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बसभीड़ा में नशा नहीं रोजगार दो की 38 वीं वर्षगांठ पर हुई गोष्ठी

धूमधाम से मनाई नशा नहीं रोजगार दो की 38 वीं वर्षगांठ

जनगीतों से माफियाराज के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का लिया निर्णय

अल्मोड़ा। नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन की 38वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई गई। बसभीड़ा में हुई गोष्ठी में माफियामुक्त, नशामुक्त उत्तराखंड के साथ रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की गई। वहीं जनगीतों के माध्यम से माफियाराज के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया गया।

नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन के संयोजक पीसी तिवारी ने कहा कि नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन पिछले चार दशकों से उत्तराखंड सहित देश व संघर्षशील ताकतों को नई चेतना दे रहा है। उन्होंने आंदोलन में शामिल तमाम लोगों को याद करते हुए कहा कि इस आंदोलन ने उत्तराखंड को सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से प्रभावित किया है। यह आज भी देश व दुनिया की दो बड़ी समस्याओं नशा और बेरोजगारी की ओर सरकार और समाज का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

रंगकर्मी पत्रकार नवीन बिष्ट ने 38 वर्ष तक किसी आंदोलन की ज्योति को जलाए रखने को एक बड़ी तपस्या बताया। पत्रकार जगदीश जोशी ने कहा कि नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन ने देश और दुनिया में जो उदाहरण पेश किया वो अनुकरणीय है। महिला एकता परिषद की नेत्री मधुबाला कांडपाल ने कहा कि नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन ने उत्तराखंडी समाज में लगभग सभी स्थितियों को बदलने की दिशा दी है। प्रमुख आंदोलनकारी महेश फुलेरा ने कहा कि यह आंदोलन समाज में रचना व प्रतिरोधी ताकतों के खिलाफ एलानीय विद्रोह का प्रतीक है।

सभा की अध्यक्षता जन आंदोलनकारी मदन लाल व संचालन उपपा के जिला उपाध्यक्ष प्रकाश जोशी ने किया। कार्यक्रम में बसभीड़ा के पूर्व प्रधान नीरज तिवारी, जगदीश ममगई, कैलाश चौधरी, नंदन सिंह, सुभाष सिंह किरौला, दीपा तिवारी, प्रदीप फुलेरा, मोहन सिंह किलौरा, राजेंद्र सिंह किलौरा, मदन चंद्र पांडे, कृपाल राम, कमल राम, चिंताराम तिवारी आदि शामिल रहे।

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