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भू कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा प्रदेशभर में करेगा आंदोलन, सरकार पर लगाया यह आरोप

देहरादून। 2018 के जन विरोधी भू कानून को तत्काल निरस्त करने और हिमाचल एवं अन्य हिमालयी राज्यों की तरह ही उत्तराखंड राज्य मे भी उसका अपना सशक्त भू कानून बनाए जाने की मांग को लेकर आज 16 संगठनों ने गांधी पार्क में भू कानून संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले जबरदस्त धरना प्रदर्शन किया।

धरने में इस मुद्दे पर संगठन के प्रतिनिधि वक्ताओं का इस मुद्दे को लेकर सरकार के रवैये पर बेहद गुस्सा था। संघर्ष मोर्चा के द्वारा घोषणा की गई कि सरकार के द्वारा जिस तरह से माफियाओं व पूंजीपतियों के हित मे आज तक भी 2018 के जन विरोधी कानून को बरकरार बनाए रखा गया है और नए भू कानून को बनाए जाने के सवाल पर वह मौन साधे बैठी है, उसे देखते हुए अब आंदोलन को पूरे उत्तराखंड राज्य में फैलाया जाएगा।

संयुक्त मोर्चा की ओर से कमला पंत ने घोषणा की कि इसके लिये आगे रणनीति को तय करने को मोर्चा के वर्तमान 16 संगठन और आज जुड़े अन्य नए संगठन प्रतिनिधियों की सामूहिक बैठक 30 जुलाई को होगी। जिसमें सर्वसम्मति से आगे के कार्यक्रम तय किए जाएंगे।

प्रदर्शन मे इस बात पर भी वक्ताओं ने रोष व्यक्त किया कि इस बरसात में जहां जगह जगह वृक्षारोपण किया जाता है, सरकार अच्छी खासी चौड़ी सहस्त्रधारा रोड पर अन्धाधुन्ध पेड़ों का कटान करवा रही है और वहीं दूसरी ओर गरीबों के घरों पर बुलडोज़र चलाकर उनके घरों को उजाड़ने में लगी हुई है। विकास के नाम पर सरकार की ऐसी असंवेदनशीलता पर गुस्सा जाहिर किया गया।

हेलंग में हुई महिला अपमान की घटना की सभी वक्ताओं ने घोर निंदा की। सभा का संचालन करते हुए निर्मला बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड की महिलाओं के साथ यहां के पुलिस प्रशासन के रवैये को कतई बर्दास्त नहीं किया जा सकता है। आंदोलनकारी मंच के जगमोहन नेगी ने कहा कि इस भू कानून के चलते यहां के बच्चों के भविष्य को बर्बादी के कगार पर ला दिया है।

हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता बीपी नौटियाल ने विधान सभा सत्र के पहले दिन ही 2018 के कानून को खत्म कराने की बात पर जोर दिया। उन्होंने आंदोलन में कानूनी पहलुओं की जानकारियों को रखे जाने की सलाह भी दी।

अखिल गढ़वाल सभा के सचिव गजेंद्र भंडारी ने कहा कि जिस तरह से सारे पहाड़ में जमीनों व जंगलों की दुर्दशा हो रही है उससे वह बेहद आहत है। हिमाचल की तर्ज़ पर यहां भी भू कानून बने, गढ़वाल सभा की यही मांग है।

संयुक्त नागरिक संगठन के सुशील त्यागी ने कहा कि भू कानून के और पर्यावरण के मुद्दे पर नागरिक संगठन पूरी तरह से मोर्चा के साथ खड़ा है और रहेगा। किसान सभा के सुरेंद्र सजवाण ने कहा कि भू कानून के सवाल पर किसान सभा हर संघर्ष में साथ है। उन्होंने पहाड़ में खेती व वहां के किसान की दुर्दशा पर भी चिंता जाहिर की।

प्रदर्शन में 300 से ऊपर पुरुष और महिलाओं ने बड़ी संख्या में भागीदारी की। वक्ताओं में उक्रांद के लूसुन, समानता पार्टी संगठन के आर.पी. रतूड़ी, अधिवक्ता अब्बल सिंह, सरस्वती विहार विकास समिति के अध्यक्ष पंचम सिंह बिष्ट, सामाजिक कार्यकर्ता सुशील सैनी, राजकीय पेंशनर संगठन के चौधरी ओमवीर सिंह देवभूमि संगठन के आशीष नौटियाल, कुर्मांचल परिषद के कमल रजवार, उत्तरा पंत बहुगुणा आदि कई वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए व संयुक्त संघर्ष को मजबूत करने का संकल्प दोहराया।

प्रदर्शन समापन से पूर्व प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकालकर नारों के साथ घंटाघर तक जोरदार प्रदर्शन किया और लोगों के बीच में संयुक्त संघर्ष मोर्चा के ओर से निकाले गए पर्चों का वितरण किया

ये संगठन के सदस्य रहे मौजूद
गढ़वाल सभा, उत्तराखंड आंदोलनकारी मंच, युवा शक्ति संगठन, एस.एफ.आई, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, चेतना आंदोलन, संयुक्त नागरिक संगठन देहरादून, गवर्नमेंट पेंशनर संगठन, किसान सभा, जन संवाद, जनहस्तक्षेप, कुर्मांचल परिषद, विकल्प सामाजिक संगठन, सरस्वती विहार विकास समिति अजपुर, स्वराज अभियान एवं उत्तराखंड महिला मंच

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