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उपपा ने किया धरना-प्रदर्शन, कहा- सरकार ने उद्योगपतियों व पुलिस प्रशासन को श्रमिकों के दमन व उत्पीड़न की दी है खुली छूट

अल्मोड़ा: सामाजिक, राजनीतिक संगठनों के सम्मत आह्वान पर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने चौघानपाटा स्थित गांधी पार्क में धरना-प्रदर्शन किया। उपपा ने श्रमिक अधिवक्ताओं जन आंदोलनों के नेताओं के खिलाफ गुंडा एक्ट लगाने जैसी कार्यवाही को असहनीय बताते हुए प्रदेश सरकार से इस पर रोक लगाने की मांग की। धरने के बाद जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर श्रमिक संघों की न्याय संगत मांगों पर न्यायोचित कार्यवाही करने, कानून का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच करने की मांग की गई।

धरनास्थल पर उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सिडकुल क्षेत्र में उद्योगपतियों व पुलिस प्रशासन को श्रमिकों के दमन व उत्पीड़न की खुली छूट दी है। वहां के पुलिस प्रशासन में श्रम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए 6 श्रमिक नेताओं पर गुंडा एक्ट लगाने की कार्यवाही शुरू की है जिसके खिलाफ श्रमिकों तथा जनता में भारी आक्रोश है। यही स्थिति उत्तराखंड के तमाम क्षेत्रों में है जहां पर भ्रष्टाचार, असमानता व अपनी न्याय संगत लड़ाइयों के लिए आवाज उठाने वालों के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, जो घोषित आपातकाल से भी खराब स्थिति है। जिसके खिलाफ अब सारा उत्तराखंड एकजुट हो रहा है।

धरने की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता गोविंद लाल वर्मा ने कहा कि देहरादून में सैन्य धाम में भ्रष्टाचार का मामला उठाने वाले अधिवक्ता पर गुंडा एक्ट लगाकर जिला बदर करने की कार्यवाही की गई इस पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच होनी चाहिए।

इस दौरान भूमि बचाओ आंदोलन के फल सीमा के बिशन सिंह बिष्ट, पाटिया के हेम पांडे, धौलादेवी क्षेत्र के बसंत खनी, राम सिंह, कौस्तुभानंद, उपपा की किरन आर्या, आनंदी वर्मा, उछास की भावना पांडे, चितई के प्रकाश चंद्र, मोहम्मद साकिब, सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट विनोद तिवारी व रमेश गुरुरानी ने भी धरना स्थल पर हुई सभा को संबोधित किया। धरने का संचालन उपपा के महासचिव अमीनुर्रहमान ने किया।

उपपा ने धरने के बाद डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में आरोप लगाया है कि सरकार अपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार देने की असफलताओं को छुपाने के लिए प्रदेश में सांप्रदायिक, जातीय ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रही है। ज्ञापन में ग्रामीणों की सहमति के बिना गांवों को पालिका में शामिल करने का विरोध किया गया। और आरोप लगाया कि सरकार कमजोर हो गरीब लोगों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त कर रही है जबकि प्रभावशाली अपराधिक प्रवृत्ति के भू माफियाओं को अभय दान दे रही है।

धरने में एडवोकेट जीवन चंद्र, एडवोकेट पान सिंह, एडवोकेट भारती, एडवोकेट वंदना कोहली, गिरीश राम, चंपा सुयाल, धीरेंद्र मोहन पंत, देवेंद्र सिंह खनी, राजू गिरी, रिधिमा गिरी गोस्वामी, दीप चंद्र भट्ट, उछास के सक्षम पांडे, दीपांशु पांडे, राकेश बाराकोटी, प्रिया गोस्वामी, खुशी, हरीश आर्या, मोहम्मद वसीम, लक्ष्मण सिंह, भुवन राम, मनोज कुमार समेत बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

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