अल्मोड़ा। पिछले फायर सीजन में अकेले अल्मोड़ा जिले में छह वनकर्मियों समेत 11 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में इन दर्दनाक घटनाओं से सबक लेते हुए दावानल की घटनाओं की रोकथाम व जंगलों को आग से बचाने के लिए जिला प्रशासन व वन महकमा इस बार पहले से ही तैयारी में जुट गया है।
डीएम आलोक कुमार पांडे की अध्यक्षता में गुरुवार को कलक्ट्रेट सभागार में एक जिला स्तरीय वनाग्नि प्रबन्ध समिति की बैठक हुई। डीएम ने कहा कि चीड़ के जंगल या पीरूल ही वनाग्नि का कारण नहीं है अधिकांश मामलों में मानवीय हस्तक्षेप से वनाग्नि की शुरूआत होती है। दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों तथा सीमित मानव संसाधनों के कारण वन विभाग के लिए यह मुश्किल हो जाता है कि वह अकेले ही वनाग्नि नियंत्रण कर सके, ऐसे में वनाग्नि नियंत्रण में जनसहभागिता जरूरी है।
डीएम ने अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए विद्यालयों के छात्र-छात्राओं एव ग्रामीणों को जागरूक किया जाय। तथा ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को महिला मंगल दल, महिला समूह के रूप में संगठित, पंजीकृत किया जाय तथा उन्हें समय समय पर वनाग्नि के संबंध में प्रशिक्षण भी दिया जाए। डीएम ने जंगलों में आग लगाने वाले जिम्मेदार अराजक तत्वों के विरूद्ध कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
डीएफओ दीपक सिंह ने कहा कि वनाग्नि को कंट्रोल करना वन विभाग ही नहीं वरन सभी विभागों व जममानस की जिम्मेदारी है। उन्होंने सभी से वन विभाग को सहयोग करने का आह्वान किया।
बैठक में प्रो. जेएस रावत ने बताया कि वनाग्नि के कारण नदियों का जल स्तर भी कम हो जाता है। उन्होंने सुझाव दिया कि विवि में फायर फायटर का पाठक्रम लागू किया जाय। जिसके अन्तर्गत छात्रों व ग्रामीणों को फायर फायटर का प्रशिक्षण दिया जा सके।
बैठक में सीडीओ दिवेश शाशनी, डीएफओ दीपक सिंह सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी व सरपंच मौजूद रहे।