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क्या एसएसबी गुरिल्लों के आंदोलन की आवाज को सुनने वाला कोई नहीं?… 4900 दिन पूरे

अल्मोड़ा: नियुक्ति, पेंशन समेत कई मांगों को लेकर मल्ला महल परिसर में धरना दे रहे गुरिल्लों के धरने को आज 4900 दिन पूरे हो गए है। धरने के 4900 दिन पूरे होने पर गुरिल्लों ने शनिवार को चौघानपाटा, गांधी पार्क में धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान गुरिल्लों ने केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर आक्रोश जताया।

2009 में गुरिल्लों का धरना शुरू हुआ था। तब से लगातार वह अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है। लेकिन मांगों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।

एसएसबी गुरिल्ला संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटी ने कहा कि एसएसबी गुरिल्लें जो सीमा पर सुरक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण थे। इनका उपयोग सीमाओं पर करने के लिए पिछली सरकारों से लेकर वर्तमान की भाजपा सरकार में अनेक बार चर्चा हुई, कई निर्णय भी लिए गए। यही नहीं 9 मई 2011 को एसएसबी मुख्यालय द्वारा एक सिफारिश भी भारत सरकार को भेजी गई। लेकिन सिफारिश पर कोई अमल नहीं हुआ। इसके अलावा केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा गुरिल्लों को लेकर जारी किए गए खुद के शासनादेशों पर भी अमल नहीं किया। गुरिल्लों ने मांग पूरी नहीं होने पर मार्च माह में बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

गुरिल्लों के धरने को 4900 दिन पूरे होने पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि गुरिल्लों के 17 वर्षो से चल रहे आंदोलन के दौरान जहां केन्द्र सरकार ने गुरिल्ला प्रतिनिधियों से अनेक बार वार्ता कर उनकी नियुक्ति का आश्वासन दिया। वही एसएसबी महानिदेशक से समायोजन प्रस्ताव भी तैयार करवाया तथा 2015 में एसएसबी गुरिल्लों का भौतिक सत्यापन भी करवाया। बावजूद इसके वर्तमान भाजपा सरकार ने चुप्पी साध ली।

उत्तराखंड सरकार द्वारा भी गुरिल्लों को समायोजित करने के लिए स्वैच्छिक आपदा प्रबंधन बल बनाने, लोक निर्माण विभाग में मेट एवं बेलदार पदों में नियुक्ति, कृषि सहायक पदों में नियुक्ति के शासनादेश जारी तो किये। लेकिन स्वैच्छिक आपदा प्रबंधन बल का गठन आज तक नहीं हुआ। लोक निर्माण विभाग ने भी सड़कों के रख हेतु मेट बेलदार रखने में अधिक दिलचस्पी नहीं ली। कृषि सहायक पदों में कहीं कुछ नियुक्तियां हुई हैं जो गुरिल्लों की संख्या को देखते हुए नगन्य सी ही हैं।

राज्य मंत्रिमंडल ने अनेक बार जंगलों को आग से बचाने, वृक्षारोपण, जंगलों की सुरक्षा हेतु स्टेट इको टास्क फोर्स बनाने का निर्णय तो लिया। लेकिन अभी तक बन विभाग कोई ठोस प्रस्ताव तैयार नहीं कर पाया। इसी प्रकार गुरिल्लों को होम गार्ड में भर्ती करने, पीआरडी के माध्यम से विभिन्न विभागों में कार्य पर रखने जैसे उच्च स्तरीय निर्णयों पर भी कार्यवाही नहीं हुई। आपदा प्रबंधन तथा वन विभाग की कैम्पा योजना में 100-100 गुरिल्लों को तत्काल नियुक्ति के निर्णयों पर भी विभागों ने अमल नहीं किया।

गुरिल्लों ने डाक द्वारा प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित कर गुरिल्लों के संबंध में पूर्व में लिए गये निर्णयों पर शीघ्र कार्यवाही की मांग की।

धरने में केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मानंद डालाकोटी, जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला, अर्जुन सिंह नैनवाल, अमर राम, दीवान राम, विजय प्रकाश जोशी, बसंत लाल, किशन राम, ललित मोहन सनवाल, भीम राम, संजय सिंह, धन सिंह, बसंत सिंह, आनंदी महरा, दीपा साह, तारी राम, रेखा आर्या, जानकी देवी, बीना देवी, भानु पंत, रेखा बगडवाल, शांति देवी सहित अनेकों गुरिल्लें मौजूद रहे।

 

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