(सलीम मलिक) रामनगर: ठेकी, कठ्युड़ी, पारो, नाली, कुमली, चाड़ी, डोकला, हड़प्या, नैय्या, पाई, हुड़का, ढाड़ों, पाल्ली जैसे शब्दों से भले ही आज की शहरों में रहने वाली युवा पीढ़ी अंजान हो लेकिन उनके बुजुर्ग इन नामों को सुनते ही चेहरे पर गहरा अवसाद लिए आज भी इतिहास के समुंदर में …
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