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हस्तशिल्प वस्तुएं क्षेत्र की ऐतिहासिक एवं भौगोलिक पहचानः टोलिया

इंडिया भारत न्यूज डेस्कः आर.एस टोलिया राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मुनस्यारी, पिथौरागढ़ में मुख्यमंत्री नवाचार योजना के तहत बुधवार से दन, चुटका, आसन, पंखी एवं शॉल निर्माण प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हो गई है। यह कार्यशाला आगामी 31 मार्च तक चलेगी।

प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए प्रसिद्ध समाजसेवी मंजुला टोलिया ने कहा कि दन, चुटका, पंखी, शॉल तथा अन्य हस्तशिल्प वस्तुएं इस क्षेत्र की ऐतिहासिक एवं भौगोलिक पहचान रही हैं। यहां के अधिकांश महिलाएं लंबे समय से अपनी हस्तशिल्प एवं हथकरघा कारीगरी से इन वस्तुओं का निर्माण एवं विपणन कर रहे हैं। उन्होंने महाविद्यालय के छात्र छात्राओं से इस प्रशिक्षण कार्यशाला का अधिकतम लाभ उठाने तथा पूरी लगन एवं मेहनत से दन, चुटका, आसन, पंखी एवं शॉल निर्माण की बारीकियों को सीखने का आह्वान किया।

 

इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर हितेश कुमार जोशी ने कहा कि औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ हैंडलूम से हुआ है तथा हस्तशिल्प एवं हथकरघा ने मानव सभ्यता के विकास तथा परिवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्तमान दौर में भी हथकरघा एवं हस्तशिल्प नवीन डिजाइन एवं तकनीकी के साथ मानव जीवन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। विद्यार्थियों को इस प्रशिक्षण से आजीविका सृजन के नवीन अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने सभी विद्यार्थियों से इस प्रशिक्षण का लाभ उठाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री नवाचार योजना के नोडल अधिकारी डॉ. रवि जोशी ने बताया कि विद्यार्थियों में नवाचार विकास एवं कौशल विकास उन्नयन हेतु यह योजना प्रारम्भ की गई है। महाविद्यालय के 45 छात्र-छात्राएं पहले चरण में दन, चुटका, आसन, पंखी एवं शॉल निर्माण का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। यह प्रशिक्षण आगामी 31 मार्च तक चलेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान दौर में भी हथकरघा, हस्तशिल्प के अंतर्गत दन, चुटका, पंखी, शॉल इत्यादि की बाजार में अत्यधिक मांग है। विद्यार्थियों को इस प्रशिक्षण से आजीविका के नवीन एवं वैकल्पिक अवसर प्राप्त होंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से पूरी गंभीरता के साथ इस प्रशिक्षण में प्रतिभाग करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर जोहार क्लब अध्यक्ष केदार मर्तोलिया का कहना था कि इस क्षेत्र में ऊनी कपड़ों, दन, चुटका, आसन, पंखी एवं शॉल इत्यादि का उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है। सोशल मीडिया के वर्तमान दौर में अब नवीन पीढ़ी इस ऐतिहासिक कला को नहीं सीख रही पा रही है। महाविद्यालय में यह प्रशिक्षण कार्यशाला नवीन पीढ़ी के हथकरघा एवं हस्तशिल्प प्रशिक्षण के लिए मील का पत्थर साबित होगी।

कार्यशाला का संचालन डॉ. रवि जोशी द्वारा किया गया।

प्रशिक्षण कार्यशाला में हीरा देवी धर्मशक्तू, कमला पांगती, कंचना देवी, दुर्गा प्रसाद, एडवोकेट देव सिंह बोरा, लक्ष्मण सिंह, तनुजा पांगती, दीपिका देवी, जानकी देवी, हंसा देवी पांगती, कलावती देवी पांगती, गीता पांगती, बसंती रावत, बीना वर्मा, गोकर्ण लस्पाल, ममता देवी, तुलसी देवी, मीना देवी, हरीश सिंह धर्मशक्तू, लक्ष्मी देवी, लीला देवी, तारा देवी, सुशीला पांगती, मीरा पांगती, लीला देवी, डॉ. प्रदीप मंडल, डॉ. राहुल पांडे, दुर्गेश कुमार शुक्ला, डॉ. रिफाकत अली, डॉ. बंशीधर उपाध्याय, पंकज पुंडीर, चंद्र प्रकाश, अमित कुमार टम्टा, डॉ. पी.के निश्चल, हेमंती बथियाल, मंजू महरा, चेतन जोशी, भागीरथी राणा, डॉ. शैलेष भण्डारी, गणेश सिंह, कैलाश सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, हेमा पंचपाल, त्रिलोक राम ने भी संबोधित किया।

 

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