अल्मोड़ा। जंगलों को आग से सुरक्षित रखने के लिए ओण, आड़ा तथा केड़ा जलाने की परंपरा को समयबद्ध करने के लिए मंगलवार को सोमेश्वर व रैंगल में चतुर्थ ओण दिवस मनाया गया। इस दौरान लोगों ने जंगलों से आग से बचाने का संकल्प लिया।
जिला आपदा प्रबंधन समिति और वन प्रभाग के तत्वावधान में सोमेश्वर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डीएम आलोक कुमार पांडेय ने कहा कि नदियों व जंगलों के संरक्षण का कार्य जनसहभागिता के बिना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे अराजक तत्वों की भी पहचान करनी होगी जो जंगलों में आग लगाते है, ऐसे अराजक तत्वों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
डीएफओ दीपक सिंह ने सभी से मिलजुलकर वनाग्नि की समस्या का समाधान करने की अपील की। उन्होंने कहा वनाग्नि से जंगली जानवरों, पक्षियों एवं छोटे छोटे कीड़े मकोड़े भी नष्ट हो जाते हैं, जो पर्यावरण संतुलन में अपनी अपनी भूमिका अदा करते हैं।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्राम प्रहरियों, महिला मंगल दलों एवं सरपंचों ने भागीदारी की। यहां जंगल के दोस्त समिति के गजेंद्र पाठक, तहसीलदार नेहा धपोला सहित कई लोग मौजूद रहे।
उधर, जंगल के दोस्त समिति द्वारा जीआईसी रैंगल में चतुर्थ ओण दिवस समारोह आयोजित किया गया। जिसमें उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद देहरादून के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत मौजूद रहे। इस कार्यक्रम में स्याहीदेवी क्षेत्र के करीब डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों की महिलाओं ने हिस्सा लिया।
विशेषज्ञों ने जंगलों को आग से बचाने के उपाय बताए और भविष्य की रणनीतियों पर विचार किया। इस दौरान बेहतर कार्य करने वाली कई ग्रामीण महिलाओं को सम्मानित किया गया। यहां समिति के सचिव गिरीश चंद्र जोशी, गोपाल गुरुरानी, गीता, मंजू, देवकी देवी, तुलसी, हीरा देवी, चना देवी सहित कई महिलाएं मौजूद रही।