अल्मोड़ा: सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के सभागार में रविवार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। परिसर निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट एवं महिला आयोग की उपाध्यक्ष ज्योति साह मिश्रा ने दीप प्रज्वलित कर सेमिनार का शुभारंभ किया।
लक्ष्मी देवी टम्टा महिला अध्ययन एवं शोध केंद्र के तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार का विषय ‘चेंजिंग डाइमेंशंस ऑफ़ वीमेन वर्ल्ड सोशियल, साइकोलॉजिकल, एजुकेशनल एंड ह्यूमन राइट’ था।
मुख्य वक्ता सोबन सिंह जीना विश्विद्यालय के शिक्षा संकाय की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो विजयारानी ढौंडियाल ने कहा कि संविधान में 64 वां संसोधन ने महिला अधिकारों की बात कही है। जिसके बाद पंचायतों में महिला भागीदारी बढ़ी। उन्होंने महिला शोध में काम करने की जरूरत पर विशेष जोर दिया। महिला अध्ययन केंद्र को जमीनी स्तर में काम करना होगा। उन्होंने किशोरियों के कौशल विकास पर जोर देते हुए कहा कि आज उनको काम करना चाहिए। किशोरियों को कौशल विकास पर कार्यशाला आयोजित होनी चाहिये।
रुहेलखण्ड विश्विद्यालय की प्रो आशा चौबे ने कहा कि शिक्षा महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का प्रमुख हथियार है। डिजिटल मीडिया ने आज के दिन जीवन शैली को बदल दिया है। डिजिटल युग ने महिलाओं के लिए अनेक चुनौतियां खड़ी कर दी है। उन्होंने कहा कि डीप फेक, डॉगसिंग ने महिलाओं की दुनियां को बदल दिया है।
शिक्षा संकायाध्यक्ष व विभागाध्यक्ष प्रो भीमा मनराल ने सभी अतिथियों का स्वागत कर आभार जताया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र महिला के सामने आने वाली चुनौतियों पर विचार व्यक्त किए।
प्रो एन सी ढौंडियाल ने कहा कि पुरुषों को महिलाओं के बारे में सोच को लेकर बदलाव लाना चाहिए। महिलाओं ने हर क्षेत्र में लोहा मनवाया है। लेकिन आज भी महिलाओं की स्थिति में अनेक गुंजाइश की जरूरत है। बालक और बालिका की परवरिश में बचपन से विशेष ध्यान देना चाहिये, ताकि सभी को समान अवसर दिए जाने चाहिए। महिला विकास में पुरुषत्व विचारधारा में बदलाव लाने की जरूरत पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि पूर्व महिला आयोग की उपाध्यक्ष ज्योति साह मिश्रा ने सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने महिला शिक्षा पर सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और शैक्षिक जरूरत पर जोर दिया।
सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए परिसर निदेशक प्रो प्रवीण सिंह बिष्ट ने कहा कि महिला और पुरुष एक सिक्के के दो पहलु है। महिलाओं को स्वावलंबन बनाने के लिए शिक्षा से जोड़ने की जरूरत है।